·· ··- -·· ·-
·· ··- -·· ·- ·-·-·- ·-· ·- -···
·· ·· ··· ··- ··· ·- ···· ·-· ·· ··· - ·- ·-·-·- -··· ·-· ·- -
·· ·- -·- --- ·-- ·- ·-·-·- ·--· ·-· ·· --·· ·-- ·- -· -· -·-- -- ·-·-·-
-·- --- - --- ·-· -·-- · --- ··· ·-- ·-·- --·- · -· -·-- -··· --- --· --- --
--- - -·-· --- -- ·· ··· --- ···· ·-· ·- -· · -· -·--
·· ·· ··· ··- ··· --- -- ···· ·-· ·· ··· - --- -- ---···
-- ·· ·-·· --- ··· - -··- ·-- ·- -- ·· -- ·· ·-· ·· ·-·· ··-- -··· --- ·-- -··-
-·· ·- ··- -- -· --- ···- ·- - ··· ·-·- ······
·-- --- --·· ·-·· ··-- -··· ·-·· · -· -· -·-- · --··-- ·· -- · ·-·- ·-- ··· · ··- ··· · ·-· -·· ·· ·
·--· ·· ··· ·- - -··- ·-- ·- -- --- -··· --- -··· --·- · --
··· ·--· ·- ··· · -· ·· ·· ·-·-·- ·-·- ·--· --- ---· · ·-·· --·· ·- -· ··- ···- -· --- ·
-· ·- ·--· ·· ··· ·- - -··- ·-- ·- -- ··- ·-- · --·- ·- -· ·· · -····-
·--· --- -·· ·-- ·· --·· ·- - -··- ··· ·-·- --·· ·- ·-- · ·-· ··- ·-·-·- --- -·· -· ·- ···- -·· -·--
·--· ·-· · -·· ·- -· -· ··- ··-- ··· ·-- ·-·- - -·-- -- ······ ·· -··· ---
·-- -·- ·-· ·- ·-·· ·· ··· -··- -· · -·- --- - --- ·-· -·-- · ·-·· ··-- -·· ·· ·-·-·-
·· --·· -·· ·-· · ·-- ·-·· · ·--· ·-· · -·· -· ·- --·· -· ·- ---· · -· -· -·-- · -·-
··· · -- ··- --- ··· ··- ···- -·· · -· ·· ··-- ·-·-·-
-· · ---· · ··· - ·· ·-- -·-- · ·-·-·- --- -··· ·-· ·- --·- ·- ··-- --·- ·· ·
-··· ·-·· ·- --· --- -·· ·- - -··- -··· --- --· ·- -· ·- ---- · --· --- ·-- ·--· --- ·-- --- -··
-·- ·-· ·- ··· ·--· ··- - ··· - ·-- ··- ··
--- - ·-- · ·-· --· ·- ··-- --·- ·· · ··· ·-·- · -·· ·· -· --- --· --- ·-- ·-·· ·- -·· -·-- -·- ··
-··· --- --· ·- ·· --· --- ··· ·--· --- -·· ·- -· ·- ---- · --· ---
·· ·· ··· ··- ··· ·- ···· ·-· ·· ··· - ·- ······ ·-·- ···· --- ---· ··-
-· ·- ·--· --- -- -· ·· - -··- ·-- ·- -- ·-·-·- ··- ···- · --·· -· ·- ··-- --·- ·· --
··-·· - --- ·-·-·- ---· - --- --· --- ··· ·--· --- -·· -··- ·-·-·-
·· --·· -··· ·- ·-- ·· ·-- -· ·- ·-· --- -·· ·· --·· --·· · -- ·-·· ··
· --· ·· ·--· · - ··· -·- --- ·--- ·-·-·- ·--· --- - --- -- -· · ·-- · ·-· --- ·-- ·- ·-- ---- ·· ····
·--· --- --· ··- -··· ·· ·-·· ·-·-·- ·· ·- -· --· · ·-·· --- ·-- ·-·-·- -· ·
··· --- ···· ·-· ·- -· ·· ·-- ---- ·· ···· ··· ·-- --- · --· ---
-·· --- ··· - --- ·· -· ··· - ·-- ·- ·-·-·- -· --- --- ··· - ·- ·-- ·· ·-- ---- ·· ···· ··· ·-- --- ·
···- ·· ·-·· ·· --·- · ·-·-·- ··· --- -··· ·-·· ··-- -·· ·- · - ·--
·-- · ---· -· -·-- ···· ··- --·· ·- ···· ·-·-·- ·--· --- -··
-- ·-· ·- -·- --- -- ·-·-·- -· ·- ··· ··- -·· ·-- · ·-·· ·· -·- --- --· ---
-·· -· ·-·- ······ -·- ·- -·- ··· --- -·· --- -- ·· --· --- -- --- ·-· ·-· ·- ··
--- -·- ·-· · ··· - -· -·-- · --· --- ·-· --- -·· ·- ·-·-·- ·--· --- -·· --- -··· -· ---
·· --
-··· ·-·· ··- -·· --- -·· · ·--- ··· - ·-- --- ·-- ·- ·-- ---- ·· · ·· ···· --- -·· ·· ·-- ---- ·· · --·· ·- ·· -· --- ··--
·--· ·-·· --- - ·· ··-- ·-·-·- ·--· --- -·· ·-- · ·-· --· ---- ·· ··· -··-
-·- ·- --·· -· ·· --- --· -· ·-·- ·-- · ---· -· --- --· --- ·-·-·-
·--· --- ··· - ·- ·-- ·-·· · -· -·-- ·-- ·--· ·-· ·· -- · ·-· ·-·-·- -····- - ·- -·-
- --- ---· -· --- -··· ··- -·· · - ·· ··· ··· ·· -- ··
-- · ---· - ·- - · ·-·· ·-·- -- ·· ·-·-·- -·- --- - --- ·-· -·-- · --- ··· -·- ·-- · ·-· -· ·-·- ··-- -
·--· ·-·· --- - -··- ·-·-·- --- - ·-- · ·-· --· ·- ··-- -
-· ·- ---· ·- ·-·· -··- ··· - ·-- ·- ·· --·· ·-·· --- ··· ·-·· --- ·-- ·-·- -
·-- -·-- ··· --- -·- ·· · ·-- ·-·· ·- ··· - ·· ······ -- ·· ···· ·- ·· ·-··
·- ·-· ···· ·- -· --· · ·-·· ·-·-·- -·- --- --· -·· ·- --· --- ·-- --- ·-· ·· ·-·· ···
-·· ·· ·- ·-- --- ·-·· --- -- ·-·-·- ··· ·--· --- ·-· ·-·- --- -- --- ·· ··· · · ·-- --- --
- · ·-·· · ·-·-·- -· · ··· -- · ·-·· ·--· ·-· --- ·· --·· -· · ··· - ··
··- -·- --- ·-· ·· --·· -· · -· -· --- --· --- ··· ··- -·· ·- ·-·-·- -· ---
··· -·- ·- --·· ·- ·-·· ---··· ·−··−· -·· ·- --·· ·- ·--· ·-· · - ·· - - · -··· ·
--· --- ··· ·--· --- -·· -··- ·−··−· ······ ·- ··· ·· ·· --·· ·-·· --- ··· ·-·· --- ·-- ·-·- -
- --- ·-·-·- ---· · --· --- -· · --·· -· ·- ··-- - −·−·−· ---· - ---
···- · ·--· --- ·--· ·-· ·· ·-· --- -·· · ·-·-·- -·- ·- -·-
-··· · ··· ··· ·-·· --- ·-- · ··· -· -·-- · ···- ·· ·-- --- - -· -·-- · ·-·-·-
--·· -· ·- ··-- - ·-·-·- - · -- ·-· ·- ··· - ·-·· · ·-- ·- ··-- -
··· · -··· ·-·- ······ --· --- ·-· · ·· -- ·-·-·- ·--· --- - --- -- ··- ---· - ---
·· -·· ··- - ·--· ··- - · -- -·- ·- ·· -· --- ·-- -·-- -- ·-·-·-
·--· ·-· · -·· ·- ··-- - ··· ·-·- --- -··· --- ·-·· -··- --·- · -· ·· ··--
-- --·· -·· -·-- ·-·-·- -·- ·- -·- ·-- ·- ·-·· ·- ·- -- ·-·-·- ·· ·--
··- ·--· --- ·-· ··· - ·-- · ·--· --- --· ·· -··· ·- ··-- - ·-·-·- -·- ·- -·-
-·- --- ·-· · ·--- ······ - ·- -·- --- ·-- -·-- · -··· -·-- ·-- ·- ··-- -
··· --- -··· ·-·· ·- --·· -· --- -- -· ·- ·-- ·- ---- ·· ···· ·-- · ---· · ·-· ·-·- ····
·-·· ··-- -··· ·-- ·· −·−·−· ·--· ·· ·-· ---- · ··· - ·-- ··- ·-·- ···
·-- ·- -- ·· ·-·-·- -··· · --·· ··· - ·-· ·- ···· ·-
··- - ··- ---· -· ·-·- ··-- - ··· · -··· ·-·- ······ ··-·· - ---
-··· · --·· ·-- --- -·· -· -·-- · --- -··· ·-·· ·- -·- ·- ·-·-·- -· --- ··· ·· -- -·-- ·
·-- · - ·-· --- -- −·−·−· --- ··· · -· -· ·· · -·· · ·-· · ·-- -··- ·-·- ·-·-·-
-··· · ··· ·--· ·-·· --- -·· -· -·-- · ·-·-·- -·· ·-- ·- ···- -·· -·-- ··- -- · ·-· ---- ·· · ·-·-·-
·· ··· - --- ·-· --· -· ··- - -·-- · −·−·−· ··· ·-- ·· ·-· · ·--· -·-- · -- --- ·-· ··· -·- ·· ·
·-- --- ·-·· -· -·-- ·-·-·- ·--· · -· ·-·- --·- ·· · ··· ·-·-
··· ·-· ·- -- --- - ·- -- ·· ··· ·-- --- ·· -- ·· −·−·−· --·· ·-- · --·· -·· -·--
-··· ·-·· ··- ···- -·· ·- ··-- --·- ·· · ·-·-·- -·- --- - --- ·-· -·-- -- -··· ·-·· ··-- -·· · - ··· ·-·-
-- ·-· ·- -·- - -··- -- -·-- -· ·- ·-- · -·- ·· ······ --- -· ·· ····
·--· ·-· --- ·-· --- ---· · ··· - ·-- --- ·-- ·- ·-·· ·· · -· --- ···· ·-·-·- ··· · -·· -··- -- --- ·--- --- -
·- -·· ·- -- ·- ·-·-·- --· --- ·-- --- ·-· ·-·- ---··· ·−··−· ··· · ·-·-·-
·· -·· · - --· --- ··· ·--· --- -·· -··- ··· --- - -··- -- ·- -- ··
··· ·-- ·-·- - -·-- ···· ·- -· --· · ·-·· --- ·-- ··· ·-- --- ·· ···· -····-
··· --- - ·-- --- ·-· ·· - -··- ··· ··- -·· -· ·- -·· ·-- ··· · -- ·· ··
--- -··· ·-·· ·· ---· ·· - -··- ·-- ··· · ···· -- · ···- -·· ··- -· ·· -- ··
-· · ---· · ··· - ·· ·-- -·-- ···· ·-- --- ·-- ··· · ···· -·· · ·-·· ·- ···· ·-·-·-
-·- --- - --- ·-· -·-- · ·--· ·-· --- ·· --·· ·-- · ·-·· --- ·· ····
-· · ---· · ··· - ·· · ·-·-·- ·· ·-- --- ·-- ··· · ····
···- · ··· - --- -·- ·· ···· ··· ·-·· --- ·-- ·- ···· ·-·-·- -·- --- - --- ·-· -·-- ·
·--· ·-· --- ·· --·· -· --- ··· ·· ·-·· ·· -· ·- -· · --· --- -· · ---· · ··· - ·· ·-- -·-- ·
--· ·-· · ---- -· ·· -·- ·· ·−··−· ······ ··-·· - --- ·-· --- ·--· --- - -· ·· -·- ·· ·-·-·-
-· ·· ---· · -- -· · -·· --- ·-- --- ·-·· -··- -· -·-- · ·-·-·-
·--· --- ··· - ··- ·--· ·- ··-- --·- ·· · ·--· --- ··· ·-- --- ·· -- ·--· --- ···· --- - ·-·- --
-· · ---· · ··· - ·· ·-- --- ·· -··· · --·· --·· ·- -·- --- -· -· --- −·−·−·
··- ··· - ·- ·· ···· ·--· ·-· --- ·· --·· -· --- ··· ·-·- -
-· ·- -·· ··- - -·-- · ··· ·-·· --- ·-- ·- −·−·−· --- -· ··
--- -·- ·- --·· -·-- ·-- ·- ··-- - ·-·· ·· -·-· · ·--· ·-· ·· ·-·- - ·· · -·· ·-·· ·-·-
-·- --- ·-· -·-- ··· - ·· ······ -· --- ·-- -·-- ·-·-·-
·-- --- --·· ·-·· ··-- -··· ·-·· · -· -· -·-- · ·-·-·- ·--· --- -- -· ·· - ·
·--· ·-· · -·· ··· -·- ·- --·· ·- -· -· --- · ·- ·--· --- ··· - --- ·-·· ·- -- ··
--· --- ··· ·--· --- -·· ·- -· ·- ---- · --· --- ·· ·· ··· ··- ··· ·-
···· ·-· ·· ··· - ·- ······ --- -· ·· --· --- ·-- --- ·-· ·· ·-·· ·· ·-- ·- -- ·-·-·-
---· - --- ·-- ·--· --- ··· ·-·· · -·· -· · · ·-- ·-· · -- ·-·-
·--· --- ·-·- ·-- ·-·- - ··· ·-·- ·-· ··- --· ·- - · ·-·· ·· ·-·-·-
·--· --- ··· - ··- ·--· ·- ··-- --·- ·· · ·--· --- ··· ·-- --- ·· -- -· · ---· · ··· - ·· ·-- -·-- --
·--· --- ···· --- - ·-·- -- ······ ··-·· - --- ·-·· ··-- -·· ·· ·-·-·-
--- - -·· · ·-·· ·-·- ··-- --·- ·· · ··· · -··· ·-·- --- - · -·· ·· -· ··· - ·-- ·-
·-- · ·-· -·-- ·-·-·- -·· ··- ---- · ·-- -· -·-- · ·-·-·- -· ·
·· -- · ··-- --·- ·· · -·· ··- ···· ·- ······ ·- ·-- -·-- ·-·-·-
·-- --- --·· ·-·· ··-- -··· ·-·· · -· -· -·-- · ·-·-·- -· ·- --·· ·· -·· ·- ·-·- ··· · -··· ·-·- -· ·-
··· ·-- ·-·- - · ·--- ---- · ·--- ·-- · ·-· · ·-- ·- ---- · ·--- ·-·-·-
-- --- ·-·· ·-·- ··· -··- -·· ··- ···· --- -- ··· ·-- ·-·- - -·-- -- ·-·-·-
··· --- ···· ·-· ·- -· ·-·- ·--- - · ··· · -··· ·-·- ·-- ·-·· ··-- -··· ·-- ··
-··· --- ···- ·· · ·--- ·-·-·- --- ···- ·· -·· ·- ·-·- -- ·· ·-·· --- ··· - ·· --- -
--· --- ··· ·--· --- -·· ·- -· ·- ---- · --· --- ·· ·· ··· ··- ··· ·-
···· ·-· ·· ··· - ·- ·-·-·- -·· ·-·· ·-·- ·-- · ---· -· --- ·---
···- ·· --·· -· ·· ······ ·· -·- --- -·· -· ·· -- -··· ··- -·· -··- - ·
-- ·· ·-·· --- ··· - ·· ·-- -·-- ·-·-·- ··· ·-· ·- ··· ··· -- --- - ·-· · -· ·· · -- ·-·-·- ·-
-·· ·-· ··- --· ·· ···· ··· - ·-· ·- ···· --- --
··· ·--· ·- ··· ·- ·--- - · ·-·-·- ·· ··· - --- ·-· --· ·- ·-·- ·· --··
--- --· -· ·-·- ·-·-·- --- -··· ·-·· ·· ---· ·- ·--- - · ···- · ··· ---
··· - ·-· ·- ···· --- -- ·-·-·- --· -· ··- ---- ·- ·-·- ··· -··- -·· ·- ···- ·
--- -·· · ···- -·· --- ··-- ·-·-·- -·- --- - --- ·-· ·- ·-·- --- ··· -·- ·-- · ·-· -· · -· ·-
·--· ·-·· --- - -··- ··-- ······ -- --- --· ··- --·- · -- ··- ···- ·
··· --- -··· ·-·· ··-- ··· - ·· ·-- ·- ··· --- - ·--· ·- -·· · -· ·· ·-·- ··
·--· --- ··· - ·- ·-- ·· - -··- ·--· ·-· · -·· ··· ·-·· ·- ·-- --- ··--
··· ·-- --- · ··-- -· · ·--· --- ·-· --- ---· -· -·-- -- ·· ·--
·-· ·- -·· --- ··· - ·· ·-·-·- · -·· ·· -· --- -- ··-
·--· ·-· · -- ··- -·· ·-· --- -- ··- -··· --- --· ··- ·-·-·-
··· ·--· ·- ··· ·· - · ·-·· ··-- -· ·- ---- · -- ··- ---· ·-· · --··
·· ·· ··· ··- ··· ·- ···· ·-· ·· ··· - ·- --· --- ··· ·--· --- -·· ·-
-· ·- ---- · --· --- ·-·-·- ··· ·-·· ·- ·-- ·- ·· ·-- · ·-·· ·· ---· ·· · ·-·-·-
··· ·· ·-·· ·- ·· ·-- ·-·· ·- ··· - -··- ·--· ·-· · ···- -·· ·
·-- ··· · ···· ·-- · -·- --- ·-- ·-·-·- -· -·-- -· · ·· ·-- --- ·-- ··· ·
·-- · -·- ·· ······ ·- -- ·· -· -··- ······
··−·−